इस भाजपा सरकार मे बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा बस एक नाम मात्र रह गया है यह नारा भी इस सरकार की योजना की तरह महज़ एक छलावे के सिवा कुछ नही।
आलाकमान अफसरों की मदद से शाहजहांपुर की एक विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को 2011 के बलात्कार मामले में बरी कर दिया, यह देखते हुए कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे और शिकायतकर्ता भी अपने बयान से पलट गई थी। अदालत ने चिन्मयानंद की पूर्व शिष्या महिला के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 344 (झूठे साक्ष्य देने के लिए मुकदमा) के तहत कार्यवाही शुरू करने का भी आदेश दिया। महिला ने शाहजहांपुर कोतवाली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि 2011 में उसके साथ बलात्कार किया गया था। इसके बाद अक्टूबर 2012 में अदालत में एक आरोप-पत्र दायर किया गया था जिसमें उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 506 (आपराधिक धमकी) लगाई गई थी।2018 में, यूपी सरकार ने चिन्मयानंद के खिलाफ मामला वापस लेने का फैसला किया और सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।बलात्कार पीड़िता द्वारा “आपत्ति” दर्ज करने के बाद सीजेएम ने इसे खारिज कर दिया।
इस मामले में मुकदमा 2022 में शुरू हुआ। बाद में, पीड़िता ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उल्लेख किया गया कि “अगर मामला वापस ले लिया जाता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है”। विशेष अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अहसन हुसैन ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि चिन्मयानंद के खिलाफ सबूतों की कमी थी, इसके अलावा शिकायतकर्ता भी अपने बयान से पलट गई और उसके पक्ष में बयान दिया, जिसके कारण उसे जमानत मिल गई।
यह पहली बार नही की जब इस भाजपा सरकार मे एसे बलात्कार के अपराधी बरी हूए हों या पैरोल बाहर हों।
चाहे वो बिलकिस बानो के अपराधी हों या आसाराम हों या बाबा गुरमीत।